एक ही पत्थर से निर्मित है षटानंद सिद्धेश्वर गणेश मूर्ति
चोली/बबलाई (खरगोन)
ग्राम चोली को मंदिरों के गांव से भी जाना जाता है। यहां षटानंद सिद्धेश्वर गणेश की 11 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है। प्राचीन मूर्ति का ऐतिहासिक महत्व है। इतिहासकारों के अनुसार मूर्ति का निर्माण नौवीं शताब्दी में परमार काल में हुआ था। मूर्ति एक ही पत्थर से निर्मित है, जिसमें भगवान गणेश नृत्य की मुद्रा में दिखाई देते हैं। इस तरह की मूर्ति प्रदेश में कही नहीं है। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण होती है। प्रसिद्धि के कारण यहां सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। क्षेत्र के सांसद और विधायक भी अपने प्रचार अभियान की शुरुआत यहां दर्शन के बाद ही आरंभ करते हैं।प्रदेश की संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ, सांसद गजेंद्र पटेल, पूर्व विधायक राजकुमार मेव, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत यहां से कर चुके हैं। मंदिर के पुजारी बिहारी गोस्वामी व महेश भारती ने बताया कि मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। गणेश उत्सव में मंदिर में दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। हर दिन गणेशजी का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है।
श्रद्धालु गौरवसिंह ठाकुर व डॉ. सुमित बर्वे ने बताया कि कलेक्टर ने प्रशासन की ओर से यहां दान पेटी रखी है, लेकिन मंदिर के संरक्षण की ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। पुरातत्व विभाग इंदौर संभाग के उप संचालक एसआर वर्मा ने शुक्रवार को मंदिर सहित ग्राम के अन्य प्राचीन मंदिर का दौरा किया। समाजसेवी देवेंद्र साधौ ने कहा कि चोली के गणेशजी देश में अपनी अलग पहचान रखते हैं। ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर निर्माण की योजना है।
ग्राम चोली स्थित ऐतिहासिक गणेश व अन्य मंदिरों व इमारतों का निरीक्षण किया है। चोली स्थित गणेश जी की मूर्ति अद्भुत है। ऐसी मूर्ति पहली बार देखने को मिली। इस मंदिर के संरक्षण के लिए जल्द प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
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